• युनूस खान, दामजीपुरा
भीमपुर ब्लॉक के दामजीपुरा क्षेत्र में स्थित डुलारिया गांव में गुरुवार को छोटे-छोटे स्कूली बच्चों का एक बड़ी मुसीबत से सामना हो गया। स्कूल से छुट्टी होने पर वे घर जाने के लिए नदी पार कर रहे थे। इसी बीच अचानक ही नदी में तेज बाढ़ आ गई। वह तो शुक्र है कि खतरे का एहसास होते ही शिक्षक तत्काल नदी पर पहुंच गए। उन्होंने बच्चों को बाढ़ उतरने तक किनारे पर रोका। साथ ही बाढ़ के दौरान नदी पार न करने की समझाइश भी दी।
ग्राम डुलारिया का माध्यमिक स्कूल गांव से करीब एक किलोमीटर दूर एक खेत में स्थित है। यहां डुलारिया सहित आसपास के अन्य गांवों से बच्चे आते हैं। यहां कक्षा 5 वीं से 8 वीं तक 53 बच्चे पढ़ते हैं। स्कूल तक जाने के लिए डुलारिया नदी पार करना होता है। वैसे तो इस पर रपटा बना है, लेकिन थोड़ी सी बारिश में ही इसके ऊपर से पानी जाने लगता है।
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दूसरी ओर आज कई दिनों बाद क्षेत्र में तेज धूप तपी थी। ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था कि बारिश होगी, लेकिन इसी बीच डुलारिया क्षेत्र में तेज बारिश हो गई। इससे कुछ ही देर में नदी में बाढ़ आ गई। उसी दौरान स्कूल की छुट्टी भी हुई थी। बच्चे नदी पार कर रही रहे थे। बाढ़ आने से बच्चों में अचानक दहशत और घबराहट का माहौल बन गया। जल्दबाजी में कुछ बाढ़ के दौरान ही नदी पार करने का प्रयास कर लेते।
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इधर शिक्षकों ने भी जब स्थिति देखी तो उन्हें भी खतरे का आभाष हुआ। इस पर वे भी बिना कोई देर किए नदी पर पहुंचे। उन्होंने बच्चों को वहीं रूकवाया और बाढ़ के दौरान नदी नहीं पार करने की समझाइश दी। करीब एक घंटे तक बच्चों को वहां रूक कर बाढ़ उतरने का इंतजार करना पड़ा। यदि शिक्षक समय पर नहीं पहुंचते तो बड़ा हादसा भी हो सकता था। यह बात अलग है कि इस दौरान भी कुछ लापरवाह बाइक सवार यहां से नदी पार करते रहे। देखें वीडियो…
अचानक हुई बारिश और फिर बाढ़
शिक्षक रामेश्वर सेलुकर ने बताया कि डुलारिया मिडिल स्कूल में छठवीं से आठवीं तक 53 बच्चे हैं। आज अचानक तेज बारिश होने से डुलारिया नदी के रपटे पर पानी आ गया था। जिससे बच्चों को घर जाने में परेशानी का सामना करना पड़ा। बाढ़ आते ही वे नदी पर पहुंचे और बच्चों को रोककर समझाइश दी। अन्यथा बड़ा हादसा भी हो सकता था।
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रपटे की बढ़ाई जाएं ऊंचाई : ग्रामीण
इधर ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों को नदी पार कर स्कूल जाना पड़ता है। स्कूल पहुंचने तक रास्ता भी नहीं है। बच्चों को कीचड़ से होकर स्कूल जाना पड़ता है। वहीं इस रपटे की ऊंचाई भी कम है। ऐसे में बारिश के मौसम भर खतरा बना रहता है। पालकों की चिंता उस समय तक बनी रहती है जब तक बच्चे वापस घर न पहुंच जाए। उन्होंने मांग की है कि रपटे की ऊंचाई बढ़ाई जाएं।
एक बार हो चुका बड़ा हादसा
गौरतलब है कि इस नदी पर इसी स्थान पर कुछ साल पहले एक बड़ा हादसा हो चुका है। एक बोलेरो वाहन में सवार होकर श्रद्धालु खंडवा स्थित दादाजी दरबार जा रहे थे। बाढ़ में यह बोलेरो इस नदी में बह गई थी। इससे 11 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे की कड़वी यादें अभी तक ग्रामीणों के जेहन में है। यही कारण है कि वे हमेशा बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं।
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