journey of troubles : मवेशियों की तरह बसों में ठूंसे जाते हैं यात्री, इस ओर कोई ध्यान नहीं देते परिवहन विभाग के अधिकारी

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◆ उत्तम मालवीय, बैतूल
जिले में परिवहन विभाग की मौजूदगी साल में एक-दो बार तभी नजर आती है जब ऊपर से किसी अभियान का फरमान आता है। उसके अलावा विभाग की कहीं कोई सक्रियता कभी नजर नहीं आती। यही कारण है कि धड़ल्ले से नियम कायदों को ताक पर रख कर वाहनों का परिवहन और संचालन होता है। यहां तक कि यात्री बसों के संचालन में भी तमाम तरह की लापरवाहियां बरती जाती है पर विभाग द्वारा समय-समय पर बसों की जांच पड़ताल तक की जहमत नहीं उठाई जाती है।

बैतूल के परिवहन विभाग इस कार्यशैली की पोल खोलता हुआ एक वीडियो इन दिनों खूब चर्चा में है। यह वीडियो शहर के आरटीआई एक्टिविस्ट संजीव डफरे ने बनाया है और Facebook पर शेयर किया है। इस पोस्ट में उन्होंने विभाग की लापरवाही और यात्रियों के दर्द को अपने शब्दों में भी बयां किया है।

इस लिंक पर क्लिक कर देखें ठंसाठंस भरें यात्रियों का वीडियो…👇🏾 https://youtube.com/shorts/zFre_aa_R1g?feature=share

श्री डफरे ने लिखा है कि यह समस्या नई नहीं है। बरसों बरस हो गए यह दृश्य देखते-देखते। शायद ऐसी ही भीड़ भरी यात्राओं का दर्द भरा आनंद लेते-लेते ही हम छोटे से बड़े हुए हैं, लेकिन मजाल है इन यात्री बसों के मालिकों पर आमजनता के दुख-दर्द का कुछ असर हुआ हो। ऐसा हो भी तो कैसे? उन्हें तो बस इतना मालूम है कि सरकारी सिस्टम क्या बोलता है। हमारी बस कमाई देती रहे, हम बसों में बेगजब यात्री ठूंसते रहे, खूब कमाते रहे। रहा सवाल विभागीय कार्यवाही के डर का तो न बाबा न उससे क्या डरना।

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इसके लिए तो बस सिस्टम को समझने की जरूरत है। किसको कितना देन-लेन करना है, बस इतनी सी तो बात है। समय-समय पर अधिकारी के साथ त्यौहार मनाने का, बस अधिकारी खुश, कार्यालय खुश। ये दोनों खुश फिर अपन भी खुश। सोचों, बड़ा दर्दनाक समय होता है जिस वक्त कंडक्टर सवारी को जोर जबरदस्ती बसों में ठूंसता है। बड़े, बुजुर्ग, माताएं, बहनें, छोटे-छोटे बच्चे उनकी तकलीफें कहां किसको दिखती है साहब! कंडक्टर को मालिक को कमाई दिखानी होती है। विभाग के अधिकारी को अपनी ऊपरी कमाई देखनी होती है।

रहा सवाल हमारे जवाबदेह जनप्रतिनिधियों का, तो इन्हें बस मालिकों के साथ खुद के पार्टी चंदे वाले संबध निभाने होते हैं। हम दावा करते हैं इस बात का कि कभी भी किसी ने आरटीओ विभाग की यह कार्यवाही तो नहीं देखी होगी कि विभाग के आला अधिकारियों ने कभी कोई बस रुकवाई हो और क्षमता से अधिक यात्री ठूंसने पर प्रति यात्री 1000 रुपये जुर्माने की कार्यवाही की हो।

क्या कहता है आरटीओ एक्ट

9 अगस्त 2019 को मोटर वाहन संशोधन विधेयक 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिलने के साथ ही देश में नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू हो गया। इसी एक्ट की धारा 194 A के तहत अब ओवरलोडिंग (क्षमता से ज्यादा यात्री होने पर) 1000 रुपये प्रति पैसेंजर जुर्माना देना होगा। अब यहां यक्ष प्रश्न यह उठता है कि आखिर यह कानून लोगों की रक्षा, सुरक्षा जनता का यात्रा करते समय सुविधा हो इसलिए बने हैं या फिर इन नियमों की पालना न करवाकर अधिकारी-नेता अपनी जेबें गरम करें इसलिए बने हैं? साहब… समझना होगा इन यात्री बसों में मेहनतकश मजदूर, नौकरी पेशा वर्कर, साग सब्जी बेचने शहर आने वाले किसान, स्कूलों के बच्चें रोजाना सफर करते हैं। इन यात्रियों के प्रति जिला प्रशासन की, हमारे नेताओं की कुछ तो जवाबदेही बनती है। टिकट की भी कीमत है साहब… कोई यूं नि:शुल्क सफर नहीं तय होता।

(यह सहज जिज्ञासा हो सकती है कि आखिर यह दृश्य है कहाँ का… तो हम बता दें कि यह दृश्य बैतूल से सारनी रानीपुर मार्ग पर चलने वाली एक बस का है)

उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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