समाजसेवा को समर्पित डागा परिवार से हमारे परिवार का कई पीढ़ियों से अटूट नाता बना हुआ है। मेरा सौभाग्य है कि पूर्व विधायक, कांग्रेस पार्टी के कई अहम पदों पर रह चुके और विकास पुरूष के रूप में प्रसिद्ध विनोद चाचा (स्वर्गीय विनोद डागा जी) का कई सालों तक मुझे स्नेहिल सानिध्य और मार्गदर्शन प्राप्त होता रहा। आज उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर उनसे जुड़े कई संस्मरण अनायास ही याद आ रहे हैं। इनमें से एक संस्मरण तो ऐसा है जिसने पूरे प्रदेश की शिक्षा जगत की दिशा ही परिवर्तित कर दी थी। पूर्व में मैं अपने गांव बारवीं में निजी स्कूल (डागा मेमोरियल स्कूल) का संचालन करता था। इस स्कूल के संचालन के लिए भवन डागा परिवार ने ही उपलब्ध कराया था। यह पहले पहली से दसवीं तक था। मुझे नहीं पता था कि उस समय केवल कक्षा 11 वीं और 12 वीं के लिए मान्यता नहीं मिलती थी। यह मान्यता पहली से सीधे 12 वीं या फिर 9 वीं से 12 वीं तक मिलती थी। चूंकि 10 वीं के बाद गांव के बच्चों को बाहर जाना पड़ता था, इसलिए इस जानकारी के अभाव में मैंने वर्ष 1994-95 में कक्षा 11 वीं और 12 वीं भी शुरू कर दी थी। इसके बाद मैं जब 11 वीं और 12 वीं की मान्यता लेने संभागीय कार्यालय होशंगाबाद गया तो यह सुनकर मेरे पैरों तले की जमीन ही खिसक गई कि केवल इन दो कक्षाओं की मान्यता देने का तो कोई प्रावधान ही शिक्षा संहिता में नहीं है। इस पर मैं अपनी समस्या लेकर विनोद चाचा जी के पास गया, क्योंकि सवाल बच्चों के भविष्य का था। समस्या को गम्भीरता से सुनने के बाद उन्होंने तत्कालीन शिक्षा सचिव भोपाल सुमित बोस से चर्चा कर मुझे उनके पास भिजवाया। इसके बाद शिक्षा सचिव श्री बोस ने फाइल बुलवाई एवं उन्होंने इस फ़ाइल को शिक्षा संचालनालय भोपाल (डीपीआई) आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजा। इसके बाद कुछ ही दिनों में हमें कक्षा 11 वीं, 12 वीं की मान्यता मिल गई। उस समय पूरे मध्यप्रदेश में पहला स्कूल डागा मेमोरियल बारवीं था जिसे कि सीधे कक्षा 11 वीं और 12 वीं की मान्यता मिली थी। इसके बाद अन्य स्कूलों को भी मिलनी शुरू हो पाई थी। यदि विनोद चाचा का सहयोग उस समय नहीं मिलता तो यह सम्भव नहीं हो पाता और बच्चों के भविष्य के साथ ही हमारी प्रतिष्ठा को भी आघात पहुंचता। यह वाकया और उनका यह एहसान मैं ताउम्र नहीं भूल सकता। केवल मुझ पर या हमारे परिवार पर ही नहीं बल्कि हमारे पूरे गांव पर भी विनोद चाचा के कई एहसान हैं। मुझे अच्छे से याद है कि सालों पहले हमारा पूरा गांव भारी जलसंकट से जूझता था। विनोद चाचा जी हमारे गांव के सबसे बड़े किसान थे और अभी भी हैं। गांव में कहीं पानी की व्यवस्था नहीं थी पर उनके खेत के कुएं में भरपूर पानी था। इसलिए सभी ग्रामीण उनके खेत के कुएं से ही पानी लाते थे, लेकिन वह 4-5 किलोमीटर दूर पड़ता था। एक बार विनोद चाचा जी गांव आए तो ग्रामीणों ने उनसे समस्या बताई। यह सुनते ही उन्होंने पिताजी (श्री जगन्नाथ मालवी) से कहा कि गांव तक पाइप लाइन बिछा कर यहां तक पानी पहुंचाया जाए ताकि इतनी दूर नहीं जाना पड़े। इसके बाद ग्रामीणों को गांव में ही आसानी से पानी उपलब्ध हो गया और जल संकट से भी निजात मिल गई। आज उनकी प्रथम पुण्यतिथि पर उन्हें सादर नमन, शत-शत प्रणाम, विनम्र श्रद्धांजलि…!
● शिवशंकर मालवी, प्रबंधक, सतपुड़ा वैली पब्लिक स्कूल, बैतूल