एमपी में बगैर अनुमति या अनुमति के विपरीत बने भवनों पर चलेगा बुलडोजर, नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त ने दिए कार्रवाई के आदेश

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भोपाल (Betul Update)। बगैर अनुमति लिए (without permission) या अनुमति की शर्तों का उल्लंघन कर (violating the terms of permission) भवन निर्माण (building construction) करने वालों के लिए बुरी खबर है। ऐसे भवनों और भवन मालिकों के खिलाफ जल्द ही पूरे मध्यप्रदेश में कार्रवाई की जाएगी।

इस संबंध में आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास (Urban Administration and Development) निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने सभी नगर पालिक निगमों के आयुक्त और मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को निर्देशित कर दिया है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि अवैध अथवा अनुज्ञा लिए बिना किए गए अतिरिक्त निर्माण को प्रभावी ढंग से रोकने के लिये यह आवश्यक है कि नगरीय निकाय क्षेत्र में ऐसे निर्माणाधीन भवनों विशेषकर बहुमंजिला एवं ऊँचे भवनों को तत्काल चिन्हित किया जाए, जिनमें अनुज्ञा एवं स्वीकृत मानचित्र के विपरीत अथवा अनुज्ञा के बिना ही भवन निर्माण किया जा रहा है।

आयुक्त श्री श्रीवास्तव ने कहा है कि भवन अनुज्ञा जारी होने के बाद भवन का निर्माण, अनुज्ञा एवं स्वीकृत मानचित्र के अनुसार हो रहा है या नहीं, यह सुनिश्चित करने के लिये म.प्र. भूमि विकास नियम- 2012 में भवन निर्माण के विभिन्न चरण प्लिन्थ, लिन्टल आदि स्तर के कार्य पूर्ण होने पर नगर पालिका के तकनीकी अमले द्वारा पर्यवेक्षण करने का प्रावधान है, जिसका पूर्णत: पालन सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि स्वीकृत मानचित्र के विपरीत निर्माण पाये जाने पर अधिनियम के प्रावधान से तत्काल कार्यवाही प्रारम्भ करें।

आयुक्त श्री श्रीवास्तव ने कहा कि 20 सितम्बर 2022 तक ऐसे सभी अवैध निर्माणाधीन भवनों को चिन्हित करें और अधिनियम के प्रावधान से तत्काल कार्यवाही करें। कार्यवाही का प्रथम प्रतिवेदन 20 सितम्बर 2022 तक संचालनालय भेजें और प्रत्येक माह की 7 तारीख तक पिछले माह की कार्यवाही का प्रतिवेदन निर्धारित प्रारूप में उपलब्ध करायें। यह जानकारी संचालनालय के कालोनी सेल ई-मेल आईडी colonycell@mpurban.gov.in में भी उपलब्ध कराएँ।

उल्लेखनीय है कि नगरपालिका परिषद और नगर परिषद क्षेत्र में मप्र नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 187 के उपबन्ध अनुसार भवन निर्माण की अनुज्ञा प्रदान की जाती है। भवन निर्माण अनुज्ञा में म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 के उपबन्धों एवं म.प्र. भूमि विकास नियम 2012 के सभी सुसंगत प्रावधानों का पालन किया जाना अनिवार्य है। भवन निर्माण अनुज्ञा एवं स्वीकृत मानचित्र के अनुसार भवन का निर्माण सुनिश्चित करने एवं भवन निर्माण पूर्ण होने पर अधिनियम की धारा 191 के उपबन्ध अनुसार पूर्णता प्रमाण पत्र तथा भवन के अधिभोग की अनुज्ञा भी आवश्यक है।

श्री श्रीवास्तव ने कहा है कि प्राय: यह देखने में आया है कि नगरीय निकाय क्षेत्र में ऐसे कई भवन निर्मित और निर्माणाधीन है, जिनमें स्वीकृत एफएआर से अधिक एवं स्वीकृत मानचित्र के विपरीत निर्माण किया गया है। अधिनियम में पर्याप्त प्रावधान होने पर भी नगरीय निकाय के अधिकृत अमले द्वारा यथा समय कोई भी कार्यवाही नहीं की जाती है।

इससे इस तरह के निर्माण को बढ़ावा मिल रहा है। इसके अलावा भवन निर्माण पूर्ण होने पर भवन पूर्णता प्रमाण पत्र एवं अधिवास की अनुज्ञा प्राप्त किये बिना ही भवनों को उपयोग में लाया जा रहा है, जो अधिनियम के विपरीत है। अधिनियम के विपरीत निर्मित भवन एवं इनके अनाधिकृत उपयोग से अग्नि दुर्घटनाओं (fire accidents) की सम्भावना भी रहती है।

उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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