अपनी नई-नई दुल्हनिया को साइकिल से सवारी करा रहे यह कोई साधारण युवा नहीं है बल्कि पुलिस महकमे में पूरे एक सब डिवीजन की कमान संभालने वाले एसडीओपी संतोष पटेल हैं। हाल ही में उनकी शादी हुई है और शादी के दौरान ही जब दुल्हन को हाथे लगवाने की रस्म के लिए ले जाना था तो उन्होंने किसी लक्जरी वाहन के बजाय साइकिल को चुना और खुद ही साइकिल चलाते हुए ले गए। शानो शौकत और ठाट बाट से दूर ठेठ देशी और बुंदेली परम्पराओं के साथ हुई उनकी शादी इन दिनों खासी चर्चा में है। उनकी शादी की चर्चा बैतूल में भी है क्योंकि नौकरी की शुरुआत में अपनी परिवीक्षा अवधि में वे बैतूल में ही पदस्थ रहे थे और वर्तमान में वे निवाड़ी जिले के पृथ्वीपुर में एसडीओपी हैं। बड़ा ओहदा मिलने के बावजूद वे अपनी संस्कृति और संस्कारों को जरा भी नहीं भूले।
मूल रूप से पन्ना जिले के अजयगढ़ के देवगांव के रहने वाले एसडीओपी संतोष पटेल का विवाह 29 नवंबर को चंदला की गहरावन गांव में रोशनी के साथ हुआ। यह विवाह पूरी तरह पुरातन रीति रिवाजों के साथ सम्पन्न हुआ। उनकी शादी आधुनिकता और दिखावे से एकदम उलट थी। उन्होंनेे अपने विवाह समारोह में बुंदेली परंपराओं को जीवंत रखा। उनमें बुंदेली दूल्हे की झलक देखने को मिल रही थी। दूल्हा आलीशान सेहरा नहीं बल्कि खजूर का मुकुट लगाए हुए था। आधुनिकता के दौर में जब लोग अपनी परंपराएं छोड़ शादी विवाह में पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण कर रहे हैं, उस दौर में एसडीओपी श्री पटेल ने अपनी शादी में हिन्दू संस्कृति में हजारों वर्ष से चली आ रही वैवाहिक परंपराओं का पालन किया। खजूर के पेड़ के पत्तों का मौर और भारतीय परिधान में जहां दूल्हा सजा हुआ था तो दुल्हन ने भी ठेट भारतीय सीधे पल्ले की चुनरी पहन रखी थी। दूल्हा-दुल्हन को लाने-ले जाने में भी मोटर गाड़ी का नहीं पालकी का ही प्रयोग किया गया। इस अनूठी शादी में लोगों को हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति के दर्शन हो रहे थे।
पुरातन परंपरा के साथ सादगी भरे विवाह उत्सव में जब दूल्हा दुल्हन को हाथे लगवाने के लिए सपरिवार ले गया तो पर्यावरण प्रदूषण से मुक्त वाहन साइकिल पर एसडीओपी साहब की दुल्हन उनके साथ सवार थी। आधुनिकता के बजाय सादे तरीके से बुंदेली रीति-रिवाजों के बीच की गई यह शादी समारोह अब लोगों के लिए चर्चा का बन गई है, क्योंकि आमतौर पर बड़े अधिकारियों की शादियों में खूब तामझाम देखने को मिलता है।
ऐसे में पुलिस अधिकारी की यह शादी लोगों को यह प्रेरणा देती है कि हिंदू संस्कृति और हजारों वर्ष पुरानी परंपरा के बीच में शादी को किस तरह कम खर्च में उत्सव की तरह किया जाकर यादगार बनाया जा सकता है। आमतौर पर आजकल शादियों में खासे इंतजाम होते हैं। खूब चकाचौंध और आधुनिकता से लबरेज व्यवस्थाएं, आलीशान होटल, खूब सारी सजावट स्टेटस सिंबल बन गया है। ऐसे में शादियों में लोग लाखों रुपये खर्च करते हैं। आधुनिकता के बीच जो जितना बड़ा आदमी उसका इंतजाम उतना बड़ा होता है। इन सबके बीच पुरातन संस्कृति कहीं खो सी गई है। ऐसे में संतोष पटेल की शादी ने पुरातन संस्कृति की याद दिला दी।