बैतूल। दिल्ली में आयोजित होने वाले ‘आदि महोत्सव मेले’ में जिले की शिल्प कला की झलक भी दिखाई देगी। बैतूल के शिल्प कलाकार इस मेले में शामिल हो रहे हैं और वहां विश्व प्रसिद्ध मोर चिमनी और भरेवा कंगन का प्रदर्शन करेंगे। ट्राईफेड की ओर से 16 से 30 नवंबर तक दिल्ली में आदि महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस मेले में बैतूल के भरेवा शिल्प कलाकारों को भी आमंत्रित किया है। भरेवा शिल्प के कलाकार बलदेव वाघमारे, दिलीप धुर्वे और संदीप साकरे इस मेले में शामिल हो रहे हैं। इस दौरान भरेवा शिल्प की 200 किलो की मूर्तियां दिल्ली पहुंचाई जाएंगी। यहां दिल्ली हाट में ये मूर्तियां सजाई जाएंगी। उल्लेखनीय है कि बैतूल के टिगरिया गांव की मोर चिमनी कला विश्व विख्यात कला है। 200 साल पुरानी इस कला को भरेवा समुदाय के सदस्य जीवित रखे हुए हैं। पूर्व में बिजली नहीं होने के कारण रोशनी और प्रकाश के लिए मोर चिमनियां जलाई जाती थीं। आजकल यह कला का रूप ले चुका है। भरेवा समुदाय के लोग विवाह के समय भी उपहार में मोर चिमनी देते हैं। इसमें एक मोर की आकृति की चिमनी होती है जो पंचधातु की बनी होती है। यह चिमनी खुल भी जाती है। इसमें मिट्टी का तेल भरा जाता है। टिगरिया में बनने वाली यह मोर चिमनी लेने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
दिल्ली के आदि महोत्सव में नजर आएंगी बैतूल की मोर चिमनी और भरेवा कंगन
बैतूल। दिल्ली में आयोजित होने वाले ‘आदि महोत्सव मेले’ में जिले की शिल्प कला की झलक भी दिखाई देगी। बैतूल के शिल्प कलाकार इस मेले में शामिल हो रहे हैं और वहां विश्व प्रसिद्ध मोर चिमनी और भरेवा कंगन का प्रदर्शन करेंगे। ट्राईफेड की ओर से 16 से 30 नवंबर तक दिल्ली में आदि महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस मेले में बैतूल के भरेवा शिल्प कलाकारों को भी आमंत्रित किया है। भरेवा शिल्प के कलाकार बलदेव वाघमारे, दिलीप धुर्वे और संदीप साकरे इस मेले में शामिल हो रहे हैं। इस दौरान भरेवा शिल्प की 200 किलो की मूर्तियां दिल्ली पहुंचाई जाएंगी। यहां दिल्ली हाट में ये मूर्तियां सजाई जाएंगी। उल्लेखनीय है कि बैतूल के टिगरिया गांव की मोर चिमनी कला विश्व विख्यात कला है। 200 साल पुरानी इस कला को भरेवा समुदाय के सदस्य जीवित रखे हुए हैं। पूर्व में बिजली नहीं होने के कारण रोशनी और प्रकाश के लिए मोर चिमनियां जलाई जाती थीं। आजकल यह कला का रूप ले चुका है। भरेवा समुदाय के लोग विवाह के समय भी उपहार में मोर चिमनी देते हैं। इसमें एक मोर की आकृति की चिमनी होती है जो पंचधातु की बनी होती है। यह चिमनी खुल भी जाती है। इसमें मिट्टी का तेल भरा जाता है। टिगरिया में बनने वाली यह मोर चिमनी लेने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
उत्तम मालवीय
मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।
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