बैतूल। एक आम मान्यता यही रहती है कि जेल में बंद कैदी केवल लड़ाई-झगड़े और खून-खराबे के बारे में ही सोच सकते हैं और यह सही भी होता है, लेकिन जिला जेल के बदले परिवेश में कैदियों की सोच भी बदल रही है। यहां मिल रहे बेहतर माहौल के चलते कैदी अपनी शिक्षा का स्तर बढ़ाकर भविष्य में बेहतर जीवन जीने की सोचने लगे हैं। इसी का प्रमाण देते हुए जेल में बंद एक दर्जन कैदियों ने पीजी से लेकर कंप्यूटर की पढ़ाई करने की इच्छा जाहिर की है। कैदियों की यह इच्छा पूरी करने के लिए जेल प्रशासन भी जेल परिसर में अध्ययन केंद्र बनाने के प्रयासों में जुट गया है।
जेल ही एक ऐसी जगह होती है जिसके बारे में यह सोचने की भी जरुरत नहीं पड़ती है कि वहां पर कौन रहते हैं। इसकी सीधी सी वजह यह है कि किसी न किसी अपराध के करने पर ही कोई जेल जाता है। आपराधिक तत्वों की जेल के भीतर भी सोच नहीं बदलती है और उनके दिमाग में अपराध की दुनिया की बातें ही चलती रहती हैं। अपराधियों और बदमाशों के जमावड़े के बीच कोई पढ़ाई-लिखाई कर अपने जीवन की दिशा बदलने के बारे में तो कोई सोच ही नहीं पाता। हालांकि बीते कुछ सालों से जेल केवल कैदियों को कैद रखने का एक स्थान भर रहने के बजाय सुधार गृह की भूमिका अधिक निभा रहा है। जेल प्रबंधन द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे अच्छे माहौल, लगातार होने वाले धार्मिक-आध्यात्मिक कार्यक्रमों, पढ़ने-लिखने की मुहैया कराई जा रही सुविधा के कारण अधिक से अधिक कैदी अध्ययन और बेहतर जीवन जीने की मानसिकता बना रहे हैं। इसी का नतीजा है कि जेल में रह रहे कैदियों की सोच भी बदल रही है।
इन विषयों में पढ़ाई की हुई फरमाइश
जेल में बंद 12 कैदियों ने जेल प्रबंधन के समक्ष विभिन्न विषयों की पढ़ाई करने की फरमाइश रखी है। इनमें से 1 ने एमए, 1 ने बीए, 7 ने डीसीए और 3 ने पीजीडीसीए की पढ़ाई करने की इच्छा व्यक्त की है। जेल प्रबंधन के अनुसार ऐसा पहली बार हो रहा है कि एक साथ इतने अधिक कैदियों ने पढ़ाई-लिखाई की इच्छा व्यक्त की है। इससे पहले यही होता था कि एकाध कोई कैदी किसी परीक्षा में कभी-कभार शामिल होता था। इस बार पढ़ाई के प्रति कैदियों का यह रूझान देख कर अधिकारी भी हैरान हैं। इसके साथ ही वे कैदियों की यह इच्छा पूरी करने के प्रयास में भी वे जुट गए हैं।
परिसर में ही बनवाया जाएगा अध्ययन उप केंद्र
विभागीय सूत्रों के अनुसार जेल के कैदियों को पढ़ाई के लिए बाहर किसी शैक्षणिक संस्थान में दाखिला नहीं दिलाया जा सकता। यदि जेल के भीतर ही अध्ययन केंद्र बन जाए तो उसमें जरुर वे पढ़ाई कर सकते हैं, जिस तरह से आईटीआई में कई कैदी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। यही कारण है कि जेल में ही भोज मुक्त विश्वविद्यालय का अध्ययन केंद्र बनवाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए जानकारी भी भिजवाई गई है। यदि उप केंद्र बनाने में सफलता मिल जाती है तो इन कैदियों की शैक्षणिक योग्यता बढ़ सकेगी और जेल से बाहर आने के बाद वे एक अच्छे और जिम्मेदार नागरिक की तरह जीवन जी सकेंगे।
आईटीआई में भी हासिल कर रहे प्रशिक्षण
जिला जेल में कैदियों को आजीविका चलाने के गुर सिखाने के लिए बीते कई सालों से आईटीआई भी संचालित हो रही है। इसमें भी कई कैदी विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। पूर्व में भी कई कैदी प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद जेल से बाहर निकलकर अपना खुद का रोजगार कर रहे हैं या फिर किसी और जगह काम करके रोजी रोटी चला रहे हैं और सम्मान से जीवन जी रहे हैं।
जेल में बंद 12 कैदियों ने पीजी और कंप्यूटर की पढ़ाई करने की इच्छा व्यक्त की है। उनकी इच्छा पूरी करने के लिए हमने जेल परिसर में ही भोज विश्वविद्यालय का अध्ययन उप केंद्र बनवाने के लिए जानकारी भिजवाई है।
योगेंद्र पवार, जेलर, जिला जेल, बैतूल