बैतूल में कोरोना के लगातार बढ़ते संक्रमण को देखते हुए न्यायालयों में सुनवाई की व्यवस्था बदली गई है। जिला अभिभाषक संघ के निवेदन पर उच्च न्यायालय जबलपुर के पोर्टफोलियो न्यायाधिपति से सलाह लेने के पश्चात जिले के सभी न्यायालयों में सुनवाई के लिए नई व्यवस्था बनाई गई है। यह व्यवस्था फिलहाल 24 जनवरी से 5 फरवरी तक के लिए है। इस संबंध में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अफसर जावेद खान ने आदेश जारी कर दिए हैं।
जिला मुख्यालय पर स्थित सभी न्यायालयों, परिवार न्यायालय तथा तहसील मुलताई, भैंसदेही और आमला न्यायालयों में 24 जनवरी से 5 फरवरी तक चिन्हित प्रकरणों की केवल वर्चुअल सुनवाई वीसी के माध्यम से होगी। इनमें रिमांड, जमानत आवेदन एवं सुपुर्दगीनामा आवेदन, आपराधिक एवं व्यवहार अपीलें तथा आपराधिक पुनरीक्षण, वे समस्त आपराधिक प्रकरण जिनमें आरोपी न्यायिक अभिरक्षा में है, पांच वर्ष से अधिक लंबी अवधि के सभी आपराधिक एवं व्यवहार प्रकरण, मोटरयान दुर्घटना क्लेम प्रकरणों में जमा प्रतिकर राशि प्राप्ति के आवेदन पत्र, धारा 125 के प्रकरणों से उत्पन्न वसूली आवेदन, किशोर न्याय बोर्ड से संबंधित प्रकरण, एडाप्शन प्रकरण, ऐसे प्रकरण जिनमें राजीनामा, समझौता आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया है, ऐसे सभी प्रकरण जिनमें उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय द्वारा सीमित समयावधि में निराकरण किए जाने के आदेश पारित किए गए हैं (आपराधिक एवं व्यवहार प्रकरण दोनों) और एक्सट्रीम अर्जेंट प्रकृति के व्यवहार एवं आपराधिक प्रकरण जिनमें न्यायालय द्वारा तात्कालिकता पाई जाती है, की सुनवाई की जाएगी।
10 प्रकरणों से अधिक की सुनवाई नहीं
प्रत्येक न्यायालय में सुनवाई के लिए नियत प्रकरणों की संख्या 10 से अधिक नहीं होगी। उपरोक्त प्रकार के प्रकरणों के अलावा जिनमें सुनवाई नहीं होनी है और जो दिनांक 24 जनवरी से 5 फरवरी तक पूर्व से नियत है, उन प्रकरणों को पीठासीन न्यायाधीश उसी स्टेज पर 5 फरवरी के बाद की तारीखों के लिए नियत करेंगे। ऐसे प्रकरण जिनमें सुनवाई नहीं होनी है, में पक्षकारों और अभिभाषकों को उपस्थिति से छूट रहेगी। पक्षकार या अभिभाषक अर्जेंट प्रकृति के आवेदन तथा जमानत आवेदन, सुपुर्दगी आवेदन पत्र केवल ई-मेल के माध्यम से प्रेषित कर सकेंगे।
50 प्रतिशत स्टाफ ही रह सकेगा उपस्थित
इस अवधि में प्रत्येक न्यायालय के पीठासीन अधिकारी तथा अनुभागों के प्रभारी अधिकारी क्रमश: न्यायालयों एवं अनुभागों में केवल 50 प्रतिशत कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित कर कार्य संपादित करेंगे। ऐसे न्यायायिक अधिकारी, अभिभाषक और कर्मचारी जो क्वारेंटाइन या आइसोलेट किए गए हैं, का प्रवेश न्यायालय परिसर में वर्जित रहेगा। न्यायालय परिसर में थूकना प्रतिबंधित किया गया है। यदि कोई व्यक्ति उपरोक्त गतिविधि करते पाया गया तो वह दंड का दायी होगा। न्यायालय परिसर में बिना फेस मास्क या फेस कवर के प्रवेश नहीं मिल सकेगा।
केंटीन और फोटोकॉपी दुकानें नहीं खुलेंगी
जारी आदेश में कहा गया है कि केवल उन्हीं पक्षकारों और उनके अभिभाषकों को न्यायालय परिसर में प्रवेश की अनुमति होगी, जिनके प्रकरण नोटिफाईड एवं लिस्टेड है। प्रत्येक न्यायालय आगामी कार्यदिवस के लिए नियत प्रकरणों की काजलिस्ट न्यायालय के बाहर सूचना पटल पर एक दिन पूर्व चस्पा करेंगे। उसी क्रम में ही प्रकरणों की सुनवाई की जाना सुनिश्चित करेंगे। काजलिस्ट की एक प्रति अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष व सचिव को संबंधित अधिवक्ता के मध्य परिचालित करने हेतु प्रेषित की जाएगी। इस अवधि में न्यायालय परिसर में स्थित केंटीन और फोटोकॉपी की दुकानें पूर्णत: बंद रहेंगी। अभिभाषक संघ के कक्ष में भी सीमित प्रवेश सुनिश्चित करने को कहा गयाव है।