बैतूल के पश्चिम वनमंडल अधिकारी वरुण यादव एवं वन परीक्षेत्र अधिकारी मोहदा राकेश कुमार अडकने के मार्गदर्शन में दामाजीपुरा बीट के ग्राम खुर्दा, चीरा एवं दामाजीपुरा के ग्रामीणों को वन विभाग की टीम के द्वारा जंगलों में लगने वाली आग के बारे में समझाइस दी गई।
वन विभाग के द्वारा बताया गया कि वर्तमान समय में महुआ की फसल आई हुई है। ग्रामीण कभी-कभी महुआ के पेड़ के नीचे सफाई करने के लिए आग लगाता है। जिससे वह आग बड़ा विकराल रूप लेती हुई जंगलों को नष्ट कर देती है।
आग से वन से मिलने वाली वन संपदा भी नष्ट होती है। बहुत सारी औषधियां, इमारती लकड़ी या फल फूल जो प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखती है, वह भी जलकर भस्म हो जाती है। वनों में आग से वृक्ष, पत्तियां, बीज तथा भूमि पर पड़ी उर्वरक खाद भी राख में परिवर्तित हो जाती है। जिसके कारण वर्षा जल से उपजाउ मिट्टी कट कर नदियों में बहती है।
विभाग के द्वारा बताया गया कि भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 79 के अंतर्गत जंगल में आग लगाने पर 1 साल की सजा अथवा ₹1000 तक का जुर्माना या दोनों के भागी भी हो सकते हैं। समीपवर्ती वनों की आग से रक्षा करना, अग्नि दुर्घटना होने पर आग बुझाने में हर संभव सहायता करना, अग्नि दुर्घटना को रोकना तथा इसकी सूचना सक्षम अधिकारियों-कर्मचारियों को देना वैधानिक बाध्यता है।
जंगल हमारा है, हम इसके ऋणी हैं, इनकी रक्षा करना हमारा दायित्व है। हम अपने चारों ओर देख ही रहे हैं कि किस प्रकार से तापमान बढ़ता जा रहा है। आने वाले समय में बहुत ही भयानक स्थिति होने वाली है। यह सब हम जंगलों को बचाकर, पेड़-पौधे लगाकर ही तापमान को कंट्रोल कर सकते हैं। इसलिए हम सबकी जिम्मेदारी है कि अपनी जिम्मेदारी समझें एवं जंगलों को आग से एवं अवैध कटाई जैसी चीजों से सुरक्षित करें।
वन विभाग के द्वारा गांव में जागरूकता हेतु पंपलेट भी चिपकाए गए एवं ग्रामीणों के साथ बैठक कर जानकारियां प्रदान की गई। मार्गदर्शन देने वालों में वन विभाग से बीट गार्ड मंसाराम, परिक्षेत्र सहायक दामजीपुरा वीरेंद्र चौकीदार, शोभाराम टोटेकर उपस्थित रहे।