• मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़
Betul news : केंद्र सरकार द्वारा गांव-गांव और घर-घर में नल और पानी ग्रामीणों को उपलब्ध कराने जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) जैसी योजना चलाई जा रही है। इन योजनाओं पर करोड़ों-अरबों रुपए भी खर्च किए जा रहे हैं। यह बात अलग है कि इस योजना में ठेकेदार और अधिकारियों के ही वारे न्यारे हो रहे हैं।
अधिकांश गांवों में योजना के नाम पर स्ट्रक्चर भर खड़े कर दिए गए हैं, लेकिन ग्रामीणों के घरों तक सालों बाद भी पानी नहीं पहुंचा है। अलबत्ता अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से कागजों में योजनाएं जरूर पूरी बता दी गई है। ऐसा ही कुछ हाल बैतूल जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत सराड़ के चिचढाना गांव में भी है।
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यहां ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए परेशान होना पड़ता है। यहां हाल यह है कि पानी चाहिए तो चंदा करना होता है। यदि ग्रामीण चंदा नहीं कर पाए तो उन्हें पानी नसीब नहीं हो पाता है। ग्रामवासी ठेकेदार से ट्यूबवेल में मोटर डालने का कह-कह कर थक चुके हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। विभागीय अधिकारी भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
सरपंच शर्मिला परते का कहना है कि यहाँ दो ट्यूबवेल है। उनमें भरपूर पानी है। एक ट्यूबवेल जलजीवन मिशन की ऒर से करवाया गया है। घर-घर नल लगे डेढ़ वर्ष हो गए हैं पर बोरवेल में मोटर पम्प नहीं लगाया गया। इससे आज तक नलों में पानी नहीं पहुंचा है। ऐसी हालत में ग्रामीणों ने चंदा करके एक बोर में मोटर डाल कर पीने के पानी की व्यस्था की है।
समस्या यह है कि उसकी भी मोटर बार-बार खराब हो रही है।जिससे पीने के पानी के लिए ग्रामीणों को भटकना पड़ता है। एक बार में हजार, दो हजार खर्च करने होते हैं तब मोटर सुधर पाती है। फिर चंदा करना भी कभी-कभी नामुमकिन होता है। इसलिए लोग पानी के लिए परेशान होते हैं।
वैसे भी चंदा करके हम कब तक पानी पीते रहेंगे। जल जीवन मिशन के ठेकेदार के द्वारा अगर मोटर लगा दी जाती है तो पूरे गांव में पानी की स्थायी और घर-घर व्यवस्था हो सकती है। आदिवासी महिला सरपंच शर्मिला परते, मनोहरी लाल, सटन परते, मन्नू लाल सहित ग्रामीणों ने कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस से उचित कार्यवाही की मांग की है।
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