• उत्तम मालवीय, बैतूल
बैतूल जिले में प्राकृतिक रूप से रमणीक और सुरम्य स्थानों को कोई कमी नहीं है। इनमें से कई स्थान तो धार्मिक स्थलों के रूप में भी पहचान बना चुके हैं। इन स्थानों पर विशेष अवसरों पर दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इन स्थानों की खास विशेषता है कि यहां पूजा-अर्चना कर अपनी आस्था प्रकट करने के साथ ही रोमांच का अनुभव भी किया जा सकता है।
ऐसे ही स्थानों में शामिल है आठनेर ब्लॉक के ग्राम नढ़ा का धार्मिक स्थल गोमुख (स्थानीय भाषा में गाय मुख)। यह स्थान ऐसा है कि यहां साल भर श्रद्धालु भी पहुंचते हैं और प्रकृति प्रेमी भी। आठनेर ब्लॉक मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर गोमुख नामक स्थान घने जंगल के बीच नदी के किनारे स्थित है। महाराष्ट्र सीमा पर यह स्थान सतपुड़ा पर्वत श्रेणी के दक्षिणी छोर पर मनमोहक पहाड़ियों के बीच स्थित है।
गोमुख नामक स्थान वर्ष भर अपनी विशिष्टता से यहां पहुंचने वालों को अचंभित करता है। ग्रीष्म ऋतु में जब सतपुड़ा के गगनचुंबी पहाड़ों से हरियाली गायब रहती है एवं चट्टानों की तपन से धरती तपती है तब भी इस स्थान से सदाबहार कल-कल करते अविरल बहते झरने को देखा जाता है तो आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहता है।
यहां के लोगों का कहना है कि जाने कब से हम देखते आ रहे हैं। इस स्थान पर से पानी की अविरल धारा कभी सूखती नहीं है। वर्ष भर पानी इसी तरह बहता रहता है। कैसी भी गर्मी हो या कम बरसात हुई हो किंतु पानी की धार की प्रबलता वही रहती है।
लोगों का ऐसा मानना है कि गोमुख से बहते पानी से नहाने से रोगों का नाश होता है और मनोकामना भी पूर्ण होती है। निश्चित ही पहाड़ियों की विविध जड़ी बूटियों और वनस्पतियों के सम्मिश्रण से इस झरने का निर्मल जल अमृत तुल्य माना जा सकता है। यही कारण है कि इस झरने के पानी में स्नान करने बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
स्थानीय ग्रामीण सुभाष कास्देकर बताते हैं कि इस स्थान पर गोमुख के अलावा एक और स्थान भी अपनी विशेषता के कारण खासा प्रसिद्ध है। वह है यहां ऊंची-ऊंची और संकरी चट्टानों के बीच में स्थित नागदेवता का स्थान। यहां तक पहुंचना आसान नहीं है। सकरी चट्टानों के बीच बमुश्किल एक फीट का रास्ता है। साथ ही बीच में लगभग कमर तक पानी रहता है। देखें वीडियो…
यहां से होकर नागदेवता के स्थल तक पहुंचना होता है। इस दुर्गम रास्ते से होकर श्रद्धालु नागदेवता के स्थल तक पहुंचते और पूजा अर्चना करते हैं। मान्यता है कि नागपंचमी पर सुबह यहां स्वयं नागदेवता प्रकट होकर दर्शन देते हैं। यही कारण है कि नागपंचमी पर यहां बैतूल जिले ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र से भी हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
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इसके अलावा भी यहां साल भर लोगों का तांता लगा रहता है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य और कल कल बहता झरना यहां आने वालों को भी काफी मायूस होकर नहीं लौटने देता। हालांकि प्रचार प्रसार बिलकुल भी नहीं होने के कारण इस स्थान की जानकारी आज भी जिले के ही अधिकांश लोगों को नहीं है।
कैसे जाए गोमुख
गोमुख नामक स्थान बैतूल जिला मुख्यालय से करीब 90 और आठनेर से 50 किलोमीटर दूर है। आठनेर से कावला, मानी आदि स्थानों से होते हुए नढ़ा पहुंच सकते हैं। नढ़ा गांव से यह स्थान 3 किलोमीटर दूर पहाड़ों के बीच स्थित है। यदि यहां तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क बना कर यहां कुछ सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएं तो यह स्थान खासा प्रसिद्ध हो सकता है।
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