▪️ उत्तम मालवीय, बैतूल
Wheat prices started rising again : गेहूं के दामों में एक बार फिर तेजी का दौर शुरू हो गया है। पिछले मात्र एक सप्ताह में ही गेहूं के दाम करीब 200 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ गए हैं। लगातार बढ़ रहे गेहूं के दामों ने मध्यम वर्ग और खासकर गरीब परिवारों की चिंता बढ़ा दी है। इसकी वजह यह है कि राशन दुकानों से भी गेहूं नहीं मिल रहा है। वहीं बढ़ते दामों के कारण बाजार से खरीदना भी मुश्किल हो रहा है।
पिछले कुछ समय से गेहूं के दाम कम और स्थिर चल रहे थे। इस बीच विगत करीब एक सप्ताह से गेहूं के दाम अचानक बढ़ने लगे हैं। स्थिति यह है कि 25 जुलाई को बैतूल स्थित कृषि उपज मंडी में गेहूं के अधिकतम दाम 2351 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गए थे। एक सप्ताह पहले 18 जुलाई को यही दाम 2140 रुपये थे। अचानक बढ़ रहे दामों से आम लोग ही नहीं बल्कि व्यापारी वर्ग भी हैरत में है।
इस तरह लगातार बढ़ रहे दाम
गेहूं के दाम जिले में लगातार बढ़ रहे हैं। 16 जुलाई को गेहूं के अधिकतम दाम 2166 रुपये, 18 जुलाई को 2140 रुपये, 19 जुलाई को 2159 रुपये, 20 जुलाई को 2220 रुपये, 21 जुलाई को 2200 रुपये, 22 जुलाई को 2300 रुपये और 25 जुलाई को यह सीधे 2351 रुपये पर पहुंच गए। तेजी के इस रूख में हाल फिलहाल दामों में कमी आने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं।
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न्यूतनम मूल्य भी 2032 हुए
गेहूं में किस कदर तेजी का दौर है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अधिकतम ही नहीं न्यूनतम दाम भी बेतहाशा बढ़ रहे हैं। 18 जुलाई को गेहूं के न्यूनतम दाम 1900 रुपये थे। वे 25 जुलाई को बढ़कर 2032 पर पहुंच गए हैं। वहीं 21 जुलाई को न्यूनतम दाम 1895 रुपये थे। बैतूल में यह स्थिति तब बनी है जब आसपास के जिलों में गेहूं के दाम लगभग 100 रुपये कम चल रहे हैं।
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कब आ सकती है दामों में कमी
इधर व्यापारी वर्ग का मानना है कि दामों में 15 से 20 दिन बाद कमी आ सकती है। प्रमुख अनाज व्यापारी प्रमोद अग्रवाल का कहना है कि आसपास के जिलों में रेट कम है, लेकिन बैतूल में रेट बढ़ना समझ से परे हैं। श्री अग्रवाल कहते हैं कि रूस और यूक्रेन गेहूं के सबसे बड़े निर्यातक देश हैं। हाल ही में उनका समझौता हुआ है कि खाने-पीने की वस्तुएं बाहर भेज सकते हैं। ऐसे में इन देशों से गेहूं निकलेगा और दाम गिरेंगे। हालांकि इसमें 15 से 20 दिन लग सकते हैं।
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गरीबों की हो रही है फजीहत
गेहूं के दाम बढ़ने से गरीब परिवारों की खासी फजीहत हो गई है। इसकी वजह यह है कि राशन दुकानों से रियायती दामों पर गेहूं नहीं मिल रहा है। उसकी जगह केवल चावल थमाया जा रहा है। ऐसे में गरीब परिवार बाजार से गेहूं लेकर काम चला रहे हैं, लेकिन अब यह भी उनकी पहुंच के बाहर होता जा रहा है। इधर राशन दुकानों से गेहूं कब तक मिलना शुरू हो पाएगा, इसे लेकर विभागीय अधिकारी भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं।