Yamunanagar Ravan Dahan Video: पूरे देश में कल उत्साह के साथ दशहरा उत्सव मनाया गया। रावण कुंभकर्ण और मेघनाथ के विशाल पुतलों का दहन किया गया। भारत के हरियाणा प्रदेश के यमुनानगर में रावण दहन के दौरान एक बड़ा हादसा हो गया। यहां पर जलता हुआ रावण लोगों की भीड़ के ऊपर गिर गया। जिसके कारण वहां हड़कंप मच गया। पूरे मैदान पर भगदड़ मच गई। घटना में कई लोगों के घायल होने की खबर है। बताया जा रहा है कि जिस समय रावण को जलाया गया, उस समय वहां पर काफी संख्या में लोग रावण की जलती लकडि़यों को उठाने गए थे। इस दौरान ये हादसा हो गया।
दरअसल कई जगहों पर बारिश के होने की वजह से रावण का पुलता गिला हो गया और पुलते गल गए या टेढे हो गए। हरियाणा के यमुनानगर में रावण का पुतला लोगों पर गिर गया। यहां के मॉडल टाउन के दशहरा ग्राउंड में जब रावण के पुलते में आग लगाई गई, तो ज्यादा ऊंचाई होने के चलते पुतले का ढांचा टेढ़ा होने लगा।
जैसे ही रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले में आग लगाई गई, रावण का जलता हुआ पुतला अचानक लोगों की भीड़ के ऊपर गिर गया। रावण दहन कार्यक्रम को देखने के लिए भारी भीड़ जुटी हुई थी।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में घायलों को लेकर अलग-अलग दावे किए गए हैं, लेकिन कोई भी हादसे में घायल नहीं हुआ है। बता दें कि दशहरा ग्राउंड में 80 फुट के रावण और 60 -60 फुट के मेघनाद व कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया गया था। पुतला दहन देखने के लिए आए लोगों की भीड़ अधिक थी।
यहां देखें हादसे का वीडियो
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पुलिस का कहना है कि दशहरे पर लगने वाले मेले में बड़ी संख्या में लोगों के आने का अनुमान था। हमने भीड़ के हिसाब से तैयारी कर रखी थी। रात को जब पुतलाें का दहन शुरू हुआ तो हर कोई उसे देख रहा था। फिर अचानक कुछ लोग जले हुए रावण के पुतले को देखकर उससे निकलने वाली लकड़ी के लिए आगे तेजी से बढ़े, इसी दौरान पुतला आगे की तरफ से नीचे गिर गया।
क्यों उठाते है जलते रावण की लकडि़यां, वजह हैरान करने वाली
पुतला दहन के बाद लकड़ियां बंटोरने के पीछे तर्क दिया जाता है कि रावण ज्ञानी पंडित था। शनि उनके पैर में रहते थे देवी देवता ग्रह नक्षत्र उनके वश में थे पर घमंड की वजह से उनकी मृत्यु हुई। ज्ञानी पंडित होने की वजह से और धन-धान्य से परिपूर्ण होने के कारण उनकी राख और लकड़ी को घर ले जाते हैं। ताकि सुख संपत्ति बनी रहती है। धन की कमी नहीं होती ऐसी परंपरा है। क्योंकि रावण बहुत ज्ञानी थे और भगवान के हाथों मारे गए इसलिए मान्यता है कि वह भगवान की धाम चले गए। ऐसे ही एक ग्रहणी वर्षा ने बताया कि उन्होंने बुजुर्गों से सुना है कि रावण दहन के बाद पुतले की जली लकड़ी घर पर रखने से सब कुछ अच्छा होता है।
इस तरह पुतले की लकड़ी ले जाने को लोग शुभ मानते हैं। हालांकि इसकी कोई धार्मिक या लिखित मान्यता नहीं है। यह परंपरागत चला आ रहा है। शर्मा ने बताया कि आमतौर पर अस्थियों को घर लेकर नहीं जाते हैं। क्योंकि रावण भगवान राम के हाथ मारा गया था और बहुत ज्ञानी था। उसकी अस्थियां प्रतीक के रूप में ले जाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि रावण में सिर्फ एक ही बुराई थ जो कि उसका घमंड था।
ऐसी भी मान्यता है कि घर में उसकी बुराई ना आए इसलिए भी जली हुई लकडियां घर ले जाई जाती हैं। शर्मा ने कहा कि विजयदशमी पर हम रावण को नहीं बल्कि उस बुराई को जलाते हैं जो मनुष्य के बीच होती है रावण से प्रतीक मात्र है।
दीमक, कीटो, प्रेतात्माओ को भगाने अस्थियां का सहारा
बताते हैं कि रावण बुराई का प्रतीक है। इसकी लकड़ियां जो अस्थि स्वरूप होती हैं। उसे घर के दरवाजे पर रख दिया जाता है। इससे खराबी बलाए अंदर प्रवेश नहीं करती। इसे सामने के दरवाजे पर रख दिया जाता है। जिससे नकारात्मक आत्मा घर में प्रवेश नहीं करती। वहीं ऐसा भी माना जाता है कि इससे घर में कॉकरोच नहीं होते। दीमक नहीं लगती। लकड़ी को ले जाकर वह बिस्तर के नीचे रख देते हैं।जिससे पूरे साल कीट पतंगे घर में प्रवेश नहीं करते।
ऐसा भी माना जाता हैं कि लकड़ी को ले जाने पर घर में रोग और कीटाणु नहीं होते। उनके पूर्वजों से यह परंपरा चली आ रही है। कहते है कि शुरू से ही ब्राह्मणों की पूजा की जाती है। यह पुरातन काल से चली आ रही है। दुनिया में दो ही व्यक्ति है जो किसी के मस्तिष्क की रेखाएं पढ़ सकते हैं। पहला ब्रह्मा जी और दूसरा रावण था। जो प्रकांड विद्वान था। उसकी भस्म मस्तक पर धारण की जाती है। ऐसा भी माना जाता हैं कि रावण ने बुराई को अच्छाई की जीत में परिवर्तित किया। इसलिए उसकी अस्थि पूजन कक्ष में रखते है। इससे बरकत होती है।