बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से कड़ाके की ठंड पड़ रही थी और रोंगटे खड़े कर देने वाली सर्द हवाएं चल रही थी। ऐसे भयावह हालात में जब किसी की इच्छा घर से बाहर तक निकलने की ना हो, एक परिवार को छोटे-छोटे बच्चों के साथ खुले आसमान तले अलाव के सहारे पूरी रात बिताना पड़ा।
जानकारी के अनुसार बैतूल तहसील के अंतर्गत आने वाले जीन दनोरा गांव में जीन दनोरा-बोरगांव मार्ग पर आदिवासी मजदूर मनीष उईके 7 वर्षों से भी अधिक समय से सरकारी जमीन पर झोपड़ा बनाकर रह रहा था। उसके परिवार में पत्नी मनोती बाई के अलावा 2 वर्ष की बेटी और 1 वर्ष का बेटा भी है। पति-पत्नी दोनों अपने बच्चों को लेकर सुबह मजदूरी करने चले गए थे। उन्हें ज़रा भी उम्मीद नहीं थी कि वे जब वापस लौटेंगे तो अपना आशियाना उजड़ा हुआ मिलेगा, लेकिन ऐसा ही हुआ। वे शाम को वापस लौटे तो पाया कि किसी ने उनका पूरा झोपड़ा तहस-नहस कर दिया है और मकान के नाम पर कुछ भी नहीं बचा है। यह कार्य किसने किया, यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है।
कल जिले में कई स्थानों पर बारिश होने के साथ ही ओले भी बरसे थे। इससे कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। ऐसे विपरीत मौसम में भी इस परिवार को पूरी रात अलाव जलाकर खुले आसमान तले ठिठुरते हुए बिताना पड़ा। इस परिवार ने शासन-परिवार से मदद की गुहार लगाई है। इस परिवार को यह भी पता नहीं कि यह हरकत किसकी हो सकती है।