श्रावण मास की शिवरात्रि पर प्राचीन शिव मंदिर खेड़ला किला में लगाए लक्ष्मीतरू के पौधे, इसलिए करते हैं भोले का जलाभिषेक

▪️ लोकेश वर्मा, मलकापुर
shravan shivratri : इन दिनों सावन का पवित्र महीना चल रहा है। श्रावण मास में पड़ने वाली शिवरात्रि के साथ ही त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। श्रावण शिवरात्रि को हिंदू धर्म में पवित्र मास माना गया है। इस मौके पर वैसे तो कई धार्मिक आयोजन होते हैं, लेकिन प्राचीन शिव मंदिर खेड़ला में अनूठा आयोजन किया गया। यहां शिवभक्त महिलाओं ने लक्ष्मीतरू के पौधे रोपे।

मान्यताओं के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन किया जा रहा था, तब मंथन के दौरान समुद्र से विष से भरा हुआ एक घड़ा बाहर आया। इस विष से भरे हुए घड़े को देवता और असुर दोनों ही लेने के लिए तैयार नहीं थे। विष के असर से दुनिया का नाश हो सकता था। तब विष के असर को खत्म करने और पूरे विश्व को नष्ट होने से बचाने के लिए भोलेनाथ ने विष का सेवन किया।

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इस विष के असर से भोलेनाथ का तापमान बढ़ता जा रहा था। तभी सभी देवताओं ने विष के असर को कम करने के लिए भोलेनाथ पर जल अर्पित करना आरंभ किया। तब से श्रावण मास में भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है।

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पवित्र श्रावण मास के चलते शिव मंदिर भी हर-हर महादेव की गूंज से गुंजायमान हैं। प्राचीन शिव मंदिर खेड़ला किला में भी भक्तों की अपार भीड़ है। आज यहां शिव भक्त हीरा नारे, देवकी निर्मले, दुर्गा नारे, सुनीता नारे, किरण टिकमे, सदाराम निर्मले ने श्रावण मास की शिवरात्रि के अवसर पर लक्ष्मीतरु के पौधे का रोपण कर भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लिया।

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उत्तम मालवीय

मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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