जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय (Jawaharlal Nehru Agricultural University) के आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र छिंदवाड़ा (Zonal Agricultural Research Center Chhindwara) ने मौसम को देखते हुए बैतूल जिले के किसानों के लिए एग्रो एडवाइजरी (Agro Advisory) जारी की है। यह एडवाइजरी 10 से 14 सितंबर तक के लिए है। इसमें किसानों को मौसम के मिजाज देखते हुए जरुरी सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा (Rural Agricultural Weather Service) द्वारा आज जारी बुलेटिन में कहा गया है कि भारत मौसम विज्ञान विभाग भोपाल द्वारा जारी मौसम पूर्वानुमान से प्राप्त जानकारी के अनुसार अगले 120 घंटों के दौरान (10 सितम्बर से 14 सितम्बर 2022) घने बादल रहने एवं मध्यम से भारी बारिश होने की संभावना है।
अधिकतम तापमान 30-32 डिग्री सेन्टीग्रेट एवं न्यूनतम तापमान 21-23 डिग्री सेन्टीग्रेट के मध्य रहने की संभावना है। अधिकतम सापेक्षित आर्द्रता 90-94 प्रतिशत एवं न्यूनतम सापेक्षित आर्द्रता 65-78 प्रतिशत रहने की संभावना है। आने वाले दिनों में हवा पूर्व व पश्चिम दिशाओं में बहने एवं 06-13 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने की संभावना है।
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किसानों को फसल अनुसार सलाह
भारत मौसम विज्ञान विभाग भोपाल द्वारा जारी मौसम पूर्वानुमान के अनुसार आगामी दिनों में मध्यम से भारी बारिश होने का अनुमान है। अत: किसान अगेती मटर व आलू की बुआई मौसम साफ होने तक न करें। वर्तमान एवं आगामी दिनों में वर्षा की स्थिति को देखते हुए किसान भाइयों को सलाह दी जाती है की जहां पर दलहनी, तिलहनी एवं सब्जियों वाली फसल लगाई गई है, वहां उचित जल निकासी (proper drainage) की व्यवस्था करें।
मक्का में इस रोग का हुआ संक्रमण
बुलेटिन में कहा गया है कि कुछ क्षेत्र में मक्के (maize) की फसल में अधिक नमी हो जाने के कारण सीथ बनाइट रोग के संक्रमण (Sith Banite Disease Infections) की सूचना मिली है। इसकी रोकथाम हेतु किसान कार्बेन्डाजिम (carbendazim) 1.5 ग्राम प्रति लीटर या प्रोपिकोनाजोल (propiconazole) 1 मिली प्रति लीटर पानी में मिलकर तने में अच्छी तरह से छिड़काव करें। कुछ क्षेत्र में मक्के की फसल में अधिक नमी हो जाने के कारण तना गलन (stem rot) रोग के संक्रमण की सूचना मिली है।
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इसकी रोकथाम हेतु किसान खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें। अधिक मात्रा में नत्रजन उर्वरक का उपयोग न करें। मक्का फसल में फॉल आर्मी वर्म कीट के प्रकोप की संभावना है वहां फसल की सतत् निगरानी करें। खेत में फॉल आमी वर्म कीट का प्रकोप होने पर स्पिनोसेड () 45 एससी @0.3 मिली या इमामेक्टिन बेन्झोएट 5 एसजी @0.4 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
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सोयाबीन को इल्लियों से ऐसे बचाएं
सोयाबीन (Soybean) की फसल में इल्लियों की रोकथाम (prevention of caterpillars) हेतु T या Y आकार की 2 से 2.5 फिट ऊंचाई की 20 से 25 खूटियां एवं फेरामन ट्रैप (pheraman trap) 8 ट्रैप प्रति एकड़ की दर से लगायें। साथ ही साथ फसल की सतत निगरानी रखे। प्रति मीटर क्षेत्र में यदि 2-3 इल्ली पाई जाती हैं तो किसानों को यह भी सलाह दी जाती है कि वे पत्ती खाने वाले कीटों के हमले से फसल को बचाने के लिए क्लोरेंट्रानिलिप्रोएल 18.5 एससी (150 मिली/हेक्टेयर) का स्प्रे करें।
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सोयाबीन की फसल में गर्डल बीटल की रोकथाम (Girdle Beetle Prevention) के लिए थाइक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. @650 मिली/हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। बीज उत्पादन के लिए उगाई जाने वाली सोयाबीन की फसल में अन्य किस्मों के पौधों का निष्कासन करें। जिससे बीज की शुद्धता बनी रहे।