संयोग और किस्मत से बैतूल जिला बिना किसी मांग और प्रयास से ही इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (औद्योगिक गलियारा) का हिस्सा बन सकता है। प्रदेश सरकार ने दिल्ली-नागपुर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (Industrial Corridor) के रूट को बदलने का प्रस्ताव केंद्र सरकार (Central government) के समक्ष रखा है। वर्तमान रूट में कई दिक्कतें आ रही हैं। यदि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो इससे बैतूल सहित अन्य कई जिले इस कॉरिडोर का हिस्सा बन जाएंगे।
सोमवार को दैनिक भास्कर में प्रकाशित समाचार के अनुसार दिल्ली-नागपुर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर पहले सागर के बाद नरसिंहपुर-सिवनी होते हुए नागपुर तक जा रहा था। बीते दिनों हुई पीएम गति शक्ति मिशन (PM Gati Shakti Mission) की बैठक में प्रदेश सरकार ने इसका रूट बदलने का प्रस्ताव रखा है। जिसमें कहा गया है कि कॉरिडोर का मेन रूट तो दिल्ली से सागर तक पहले की तरह ही रखे, लेकिन सागर के आगे इसका रूट बदल दिया जाए।
प्रस्ताव में नया रूट सागर के बाद बीना, विदिशा, भोपाल, रायसेन, सीहोर, नर्मदापुरम, बैतूल होते हुए नागपुर तक बनाने की बात कही गई है। इसकी वजह यह बताई गई है कि पहले तय किए गए मेन रूट में कान्हा और पेंच नेशनल पार्क के साथ ही दुर्गम पहाड़ियां और नदियों के लंबे प्रवाह आ रहे हैं। यहां जमीन अधिग्रहण करना मुश्किल होगा। बड़े पैमाने पर प्राकृतिक संसाधन बर्बाद होंगे। इस क्षेत्र में कोई भी इंडस्ट्रियल एरिया विकसित नहीं किया जा सकता।
दूसरी ओर नया रूट राष्ट्रीय राजमार्ग-44 और 46 से होकर गुजरता है। यहां सरकार 20 हजार हेक्टेयर जमीन चिन्हित कर चुकी है। अधिग्रहण की प्रक्रिया अलग-अलग चरणों में जारी है। बीना में 2500 हेक्टेयर में प्रस्तावित बीपीसीएल का पेट्रोकेमिकल पार्क, भोपाल से लगे मंडीदीप और तामोट जैसे इंडस्ट्रियल एरिया इस कॉरिडोर में आएंगे। कुल मिलाकर नए रूट के 150 किलोमीटर के दायरे में प्रदेश के 13 नगरीय और 32 औद्योगिक क्षेत्र आएंगे।
जिले और प्रदेश के यह नगर जुड़ेंगे
नया इंडस्ट्रियल कॉरिडोर दिल्ली से होकर मथुरा, ग्वालियर, झांसी, ललितपुर, बीना गंजबसौदा, विदिशा, भोपाल, नर्मदापुरम, इटारसी, बैतूल, मुलताई, पांढुरना, काटोल से होकर नागपुर पहुंचेगा। प्रदेश के 23 जिलों से होकर यह कॉरिडोर गुजरेगा। जिसमें से 18 जिलों से यह सीधा गुजरेगा जबकि 5 जिलों से इसकी आंशिक कनेक्टिविटी रहेगी। यह प्रोजेक्ट पूरा होते ही कॉरिडोर के दायरे में आने वाले शहरों और क्षेत्रों में औद्योगिक विकास तेजी से बढ़ सकेगा।
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देश भर में बन रहे हैं 11 कॉरिडोर
केंद्र सरकार द्वारा नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत देश भर में 11 इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं। इसके लिए एशियन डेवलमेंट बैंक ने 2000 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है। सभी कॉरिडोर का काम वर्ष 2025 तक पूरा करना है। यदि प्रदेश सरकार के प्रस्ताव को केंद्र सरकार से मंजूरी मिल जाती है तो बैतूल सहित आसपास के अन्य जिलों को भी इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की सौगात मिल जाएगी।
आखिर क्या है इंडस्ट्रियल कॉरिडोर
इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को प्रगति के पहिए कहा जाता है। यह अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की अन्योन्याश्रयता को मान्यता देते हैं। उद्योग और बुनियादी ढांचे का प्रभावी एकीकरण करते हैं। जिससे समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास होता है। औद्योगिक गलियारे में अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे बने होते है; जैसे उच्च गति परिवहन (रेल/सड़क) नेटवर्क, उन्नत कार्गो हैंडलिंग उपकरण के साथ बंदरगाह, आधुनिक हवाई अड्डे, विशेष आर्थिक क्षेत्र/औद्योगिक क्षेत्र, लॉजिस्टिक पार्क आदि। ये उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से बनाये गए होते हैं। इन गलियारों में से प्रत्येक में विनिर्माण एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि होती है। यह विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार की नौकरियां) करने में सक्षम है।