घर में अवैध सागौन रखने वाले आरोपी को न्यायालय ने एक साल के सश्रम कारावास और 5000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। न्यायालय न्यायिक मजिट्रेट प्रथम श्रेणी बैतूल ने आरोपी रेवा पिता किशोरी (51) निवासी ग्राम नांदा तहसील व थाना भैंसदेही जिला बैतूल को यह सजा सुनाई है। उसे धारा 16 मध्यप्रदेश वनोपज (व्यापार विनियमन) अधिनियम में दोषसिद्ध पाकर यह सजा दी गई है। प्रकरण में शासन की ओर से सहायक जिला अभियोजन अधिकारी अजीत सिंह ने पैरवी की।
पश्चिम वनमंडल बैतूल के वन परिक्षेत्र कार्यालय चिचोली में 4 जुलाई 2014 को सूचना प्राप्त हुई थी कि ग्राम नांदा निवासी आरोपी रेवा के घर अवैध सागौन लकड़ी रखी हुई है। उक्त सूचना के आधार पर डिप्टी रेंजर मनमोहन सिंह ने आरोपी रेवा के घर की तलाशी लेने हेतु सर्च वारंट प्राप्त कर एक दल गठित करते हुए ग्राम नांदा आरोपी के घर गये थे।
आरोपी के घर व खेत-खलिहान की तलाशी ली गई। तलाशी के दौरान घर एवं खलिहान से 55 नग सागौन, 6 नग आधे-अधूरे बने हुए सोफे एवं फर्नीचर बनाने के औजार बरामद हुए थे। आरोपी के घर से जप्त सागौन लकड़ी के संबंध में आरोपी ने कोई वैध दस्तावेज नहीं दिये थे। मौके पर ही आरोपी के घर से जप्तशुदा लकड़ी, औजार एवं आधे-अधूरे बने हुए सोफे एवं फर्नीचर बनाने के औजार को जप्त किया गया। आवश्यक विवेचना कार्यवाही पूर्ण कर परिवाद पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था।
न्यायालय के समक्ष अभियोजन द्वारा अपना मामला युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित किया गया। प्रकरण में राज्य की ओर से सहायक जिला अभियोजन अधिकारी अजीत सिंह द्वारा अंतिम तर्क प्रस्तुत किये गये थे। जिनसे सहमत होते हुए न्यायालय द्वारा आरोपी को 1 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5000 रुपये के जुर्माने से दंडित किया गया।