कुछ जटिल बीमारियां भी कभी-कभी अनूठे रिश्ते बना देती हैं। एक ऐसा ही अनोखा रिश्ता बैतूल जिले में भी बना है। यह अनूठा और प्रगाढ़ आत्मीय रिश्ता बना है महज 6 साल की मासूम वैष्णवी और भानुप्रताप चंदेलकर के बीच। वैष्णवी को इस अल्पायु में ही अभी तक 70 यूनिट रक्त लगाया जा चुका है। वहीं इसमें से 19 बार अकेले उसके लिए रक्तदान कर चुके हैं। वैष्णवी को रक्त की जरूरत पड़ने की सूचना मिलते ही भानू दौड़े चले आते हैं।
दरअसल, सिकलसेल व थैलेसीमिया ऐसी बीमारी है जिसमें हर माह व कभी-कभी माह में दो-तीन बार भी बच्चों को रक्त चढ़ाना पड़ता है। नन्हीं वैष्णवी भी सिकलसेल से पीड़ित है। उसे जब ओ निगेटिव रक्त की आवश्यकता पड़ी तो भानुप्रताप चन्देलकर ने एक संदेश पर मुलताई से आकर दोपहर में जिला रक्तकोष में रक्तदान किया।
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इस अवसर पर माँ शारदा सहायता समिति के शैलेन्द्र बिहारिया व राजेश बोरखडे ने बताया कि आज 19 वीं बार भानुप्रताप ने रक्तदान किया। वे ज्यादातर वैष्णवी के लिये रक्तदान करते हैं। उन्होंने कहा कि भानू अपने नाम के अनुरूप रक्तदान के सूर्य हैं। अपने रक्त रूपी रोशनी से वे किसी के घर के बुझते चिराग को रोशनी प्रदान करते हैं।
अभी तक वैष्णवी को 70 यूनिट रक्त चढ़ चुका है। इस अवसर पर भानुप्रताप को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर ग्राम असाड़ी से डॉक्टर नीलम शुक्ला ने जिला ब्लड बैंक पहुँचकर अपने जन्मदिन पर एबी पॉजिटिव रक्त का दान किया। जिस पर उन्हें प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।