अजीब है इन महाशय का शौक, नहीं रह सकते मिट्टी खाए बगैर

  • मनोहर अग्रवाल, खेड़ी सांवलीगढ़ (बैतूल)
    सबका खाने का शौक और पसंद अलग-अलग होता है। किसी को मीठा पसंद होता है तो किसी को तीखा या चटपटा पसंद होता है, किसी को मांसाहार भाता है तो किसी को शाकाहार ही लुभाता है, लेकिन यदि आपको यह पता चले कि बैतूल जिले में एक शख्स ऐसा भी है जिसे केवल मिट्टी खाना पसंद है तो आश्चर्य होना लाजमी है पर यह एक हकीकत है। मिट्टी खाने की अजीबोगरीब आदत से मजबूर, लाचार यह महाशय हैं भैसदेही विकासखंड की ग्राम पंचायत केरपानी के ताप्ती नदी किनारे बसे ग्राम दादूढाना निवासी गुड़राव पिता सद्दू धुर्वे।

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    बताते हैं कि 30 वर्षीय युवक गुड़राव को बचपन से ही मिट्टी खाने की आदत है और अब वह इसका आदी हो चुका है। इसकी यह आदत स्कूल में भी नहीं गई। यह जेब में रखकर जब भी मौका मिलता मिट्टी खाने लगता। इतना ही नहीं 9 वीं क्लास पढ़ने के बाद उसने स्कूल की पढाई छोड़ दी। 20 वर्ष की उम्र में परिवार के लोगों ने गुड़राव की शादी कर दी। अब शादी हुए 5 वर्ष हो गए, लेकिन नहीं छूटी तो उस शख्स की मिट्टी खाने की आदत। पत्नी रामकला ने बताया कि उनका पति गुड़राव मिट्टी बहुत खाता है। कभी हमारे सामने, तो कभी छिप-छिप कर मिट्टी खाना इनकी आदत बन गई है। इस आदत से हम भी परेशान हैं। गुड़राव की एक पुत्री भी है, उसे भी पापा की मिट्टी खाने की आदत से बड़ी नाराजी है। घर का छोटा बच्चा मिट्टी नहीं खाता है, लेकिन पापा मिट्टी खाता है। पत्नी रामकला बताती है मिट्टी खाने से उनका पेट भी बढ़ रहा है।

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  • उत्तम मालवीय

    मैं इस न्यूज वेबसाइट का ऑनर और एडिटर हूं। वर्ष 2001 से पत्रकारिता में सक्रिय हूं। सागर यूनिवर्सिटी से एमजेसी (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की है। नवभारत भोपाल से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद दैनिक जागरण भोपाल, राज एक्सप्रेस भोपाल, नईदुनिया और जागरण समूह के समाचार पत्र 'नवदुनिया' भोपाल में वर्षों तक सेवाएं दी। अब इस न्यूज वेबसाइट "Betul Update" का संचालन कर रहा हूं। मुझे उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित सरोजिनी नायडू पुरस्कार प्राप्त करने का सौभाग्य भी नवदुनिया समाचार पत्र में कार्यरत रहते हुए प्राप्त हो चुका है।

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