हमारे देश में ऐसे कई गांव या स्टेशन तो हमने देखे होंगे जो कि दो राज्यों में स्थित हैं। इनका आधा हिस्सा एक राज्य में और आधा दूसरे राज्य में होता है। हमारे बैतूल जिले में ही आठनेर और प्रभातपट्टन ब्लॉक में ऐसे कुछ गांव हैं जो कि आधे मध्यप्रदेश में और आधे महाराष्ट्र राज्य में स्थित हैं। लेकिन, क्या आप भारत के किसी ऐसे गांव के बारे में जानते हैं जो भारत के अलावा किसी और देश का भी हिस्सा हो? शायद नहीं, तो आइएं आज आपको भारत के एक ऐसे ही अनोखे गांव की सैर कराते हैं।
वास्तव में भारत में एक ऐसा भी गांव (amazing village in two countries) है जो भारत के अलावा दूसरे देश का भी हिस्सा है। इस वजह से यहां के लोगों के पास दोहरी नागरिकता भी है। यह गांव नागालैंड राज्य में स्थित है जो कि भारत के साथ ही म्यांमार का भी हिस्सा (Nagaland village in India and Myanmar) है। यहां एक अनोखी जनजाति रहती है।
हम बात कर रहे हैं नागालैंड के लोंगवा गांव (Longwa village, Nagaland) की जो कि अपनी अनोखी विशेषता की वजह से काफी प्रसिद्ध है। इस गांव में कोन्याक जनजाति (Konyak tribe in Nagaland) रहती है। ये गांव भारत के साथ-साथ म्यांमार का भी हिस्सा है।
हैरानी की बात यह है कि सीमा रेखा (border) इस गांव के मुखिया और जनजाति के अध्यक्ष यानी राजा के घर से होकर गुजरती है। इस वजह से ऐसा कहा जाता है कि राजा अपने ही घर में खाता म्यांमार में है और सोता भारत में है।आउटलुक इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार राजा को ‘अंघ’ (Angh) कहते हैं जिसकी 60 पत्नियां हैं। वो अपने गांव के अलावा म्यांमार, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के 100 गांवों का भी राजा है।
इस जनजाति में कभी सिर काटने की थी प्रथा
आपको बता दें कि कोन्याक जनजाति को हेडहंटर कहा जाता था। हेडहंटर यानी वो प्रक्रिया जिसके तहत इन जनजाति के लोग एक दूसरे का सिर कलम कर के साथ ले जाते थे और अपने घरों में सजा लेते थे। मगर 1960 के वक्त जब यहां ईसाई धर्म तेजी से फैला तो इस प्रथा को धीरे-धीरे खत्म कर दिया गया। सीएन ट्रेवलर वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार गांव में करीब 700 घर हैं और इस जनजाति की आबादी, दूसरी जनजातियों के मुकाबले ज्यादा है। गांव वाले आसानी से एक देश से दूसरी देश घूमते हैं।
एक देश से दूसरे देश में जाने के लिए नहीं पड़ती पासपोर्ट-वीजा की जरूरत
कोन्याक लोग अपने चेहरे पर और शरीर के अन्य भागों पर टैटू बनाते हैं जिससे वो आसपास की दूसरी जनजातियों से अलग लगे। टैटू और हेडहंटिंग उनकी मान्यताओं का अहम हिस्सा है। जनजाति के राजा का बेटा म्यांमार आर्मी में भर्ती है और लोगों को दोनों देशों में आने-जाने के लिए वीजा-पासपोर्ट की भी जरूरत नहीं पड़ती। यहां नागमिस भाषा बोली जाती है, जो नागा और आसामी भाषा से मिलकर बनी है।
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