आज एक ओर जहां एकल परिवार का चलन बढ़ा है और शादी की रस्में पूरी होने के पहले ही लोग अपनी अलग गृहस्थी बसा लेते हैं वहीं दूसरी ओर आज भी कई लोग ऐसे हैं जो ना केवल संयुक्त परिवार को ही महत्व देते हैं बल्कि संयुक्त परिवार की एकता, सौहार्द और मिठास भी महसूस कर रहे हैं। मुलताई क्षेत्र के छोटे से गांव तिवरखेड़ का भोयरे परिवार भी संयुक्त परिवार की एक मिसाल बना है। यहां 4 भाइयों के परिवार के 17 सदस्यों का भोजन एक ही चूल्हे पर बनता है और सभी सदस्य बड़े प्रेम से एक साथ रहते हैं।
भोयरे परिवार के मुखिया का निधन होने के बाद सभी को लग रहा था कि अब जल्द ही चारों भाई अपना-अपना आशियाना अलग बसा लेंगे, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। स्वर्गीय बालकिशन भोयरे (पूर्व उप सरपंच) और उनकी धर्मपत्नी निर्मला भोयरे (पूर्व सरपंच) के चारों बेटे और उनके परिवार के सभी सदस्य आज वर्षों बाद भी संयुक्त रूप से ही रहते हैं। इनका परिवार एक साथ रहकर समाज और ग्राम के लिए एक मिसाल बना हुआ है। इस परिवार के सामने कई विपरीत परिस्थितियां भी आईं पर परिवार के सभी सदस्यों ने मिलकर उन परिस्तिथियों का सामना किया और इनकी एकता और एक-दूसरे पर अटूट विश्वास ही था कि कोई भी परेशानी उन्हें अलग नहीं कर पाई और वे आज भी साथ-साथ हैं। परिवार की एकता की वजह से ही उन्होंने सभी मुसीबतों का कुशलता के साथ सामना किया और आखिरकार उन पर विजय प्राप्त की। यह परिवार दूसरों के लिए भी प्रेरणा का कार्य करता है। परिवार के सदस्यों का कहना है कि हमारी एकता ही हमारी ताकत है। संयुक्त रूप से रहने के कारण ही कई उन परेशानियों का तो उन्हें एहसास तक नहीं हो पाता जिनका सामना एकल परिवार में रहने वालों को करना होता है।