पंचायत चुनाव निरस्त होने के बाद अब कुछ अजीबोगरीब, लेकिन वास्तविकता दर्शाते मामले भी सामने आ रहे हैं। नामांकन दाखिल करने के बाद चुनाव प्रचार पर हजारों ही नहीं लाखों रुपये तक खर्च कर चुके उम्मीदवारों का सबसे बड़ा दुखड़ा यह है कि नामांकन दाखिल करते समय जमा की गई जमानत राशि तो सरकार वापस कर देगी, लेकिन चुनाव प्रचार में खर्च हो चुकी राशि कौन वापस करेगा…! यही कारण है कि अब चुनाव रद्द होने पर उम्मीदवारों के द्वारा हर्जाना दिए जाने की मांग भी उठने लगी है। आमला से इसकी शुरूआत भी हो चुकी है।
यह भी पढ़ें… आखिरकार हुआ फैसला: नहीं होंगे पंचायत चुनाव, वापस होगी जमानत राशि
पंचायत चुनाव में उम्मीदवारी जता चुके उम्मीदवारों का साफ कहना है कि दस-पन्द्रह दिनों में उन्होंने चुनाव प्रचार में बड़ी राशि व्यय की है। चुनाव निरस्त होने से उन्हें मानसिक और आर्थिक हानि हुई है। यही कारण है कि आज आधा सैकड़ा से अधिक उम्मीदवारों ने तहसील कार्यालय पंहुचकर राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा।
ज्ञापन में कहा गया है कि मध्यप्रदेश सरकार पंचायती राज को खत्म करना चाहती है। चुनाव प्रक्रिया में लाखों अभ्यर्थियों ने अपने नाम निर्देशन पत्र जमा किए जिसमें बड़ी राशि खर्च हुई है। बैनर पोस्टर वाहनों में भी उम्मीदवार राशि खर्च कर चुके हैं। शासन इस राशि की क्षतिपूर्ति के लिए एक निश्चित राशि हर्जाने के रूप में उम्मीद्वारों को वापस करें।
यह भी पढ़ें… सरकार न पुरानी पेंशन देंगी और ना ही करेगी संविदा कर्मचारियों को नियमित
ज्ञापन सौंपने के बाद सुनेर उइके, मसरू धुर्वे, राजेश वट्टी ने कहा कि यदि हर्जाना राशि नहीं दी जाती है तो प्रत्याशियों द्वारा जमा किए गए नाम निर्देशन पत्र के आधार पर पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही चुनाव सम्पन्न करवाए जाएं। उम्मीदवार महेन्द्रसिंह परमार, मुकेश उइके, रविकांत उघड़े ने भी अपनी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि मध्यप्रदेश सरकार पंचायती राज व्यवस्था को खत्म करना चाहती है। इस सरकार के रहते कभी चुनाव नहीं हो पाएंगे। चुनाव में अपनी दावेदारी जता रहे राजु सिलू, दलपतसिंह वटके, नौखेलाल, गोलू बिसन्द्रे, शिवदयाल ने भी तिखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि राज्य सरकार अपनी हठधर्मिता छोड़े और ग्रामीण जनता के साथ छलावा बंद करें। ज्ञापन सौंपते समय प्रमुख रूप से जितेन्द्र शर्मा, कैलाश अर्जुन उइके, कोमल, बबलू, पूसा, सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
यह भी पढ़ें… इस गांव में एक साथ पहुंचे पुलिस और फॉरेस्ट के दर्जनों जवान, किया फ्लैग मार्च, यह थी वजह
राष्ट्रपति शासन लगाया जाएं
ग्रामीणों का साथ दे रहे जितेन्द्र शर्मा, राजेश वट्टी ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार चुनाव कराने में सक्षम नहीं है। सरकार ने सभी वर्गों के साथ छल किया है। इसलिए मध्यप्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाएं और चुनाव प्रक्रिया प्रारंभ की जाएं। ग्रामीणों ने ज्ञापन के माध्यम से यह भी मांग की है कि तीन माह के भीतर सारी औपचारिकताएं पूर्ण कर चुनाव करवाएं जाएं जिससे पंचायती राज व्यवस्था कायम रहे। साथ ही मांगें पूरी न होने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी है।
ज्ञापन सौंपा गया है। ज्ञापन शासन को भिजवाया जा रहा है।
बैद्यनाथ वासनिक, तहसीलदार, आमला
यह भी पढ़ें… बेमौसम बारिश के बाद ठंड का तांडव, 6.7 डिग्री गिरा दिन का तापमान